परिचय | Introduction in Hindi

  Sep 22, 2018   By: Shivam Dhuria

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पांडवों के दुश्मन कौरव थे जो पांडु के भाई धृतराष्ट्र के पुत्र थे। धृतराष्ट्र अपने बेटे दुर्योधन को रोक नहीं पाए जो अपने चचेरे भाई पांडवों की उपलब्धियों को कड़वाहट की नज़र से देखता था। दुर्योधन अपने मामा की सहायता से युधिष्ठिर को पासा के खेल में चुनौती देने की व्यवस्था करता है। युधिष्ठिर सब कुछ जुए के खेल में गवा बैठते हैं। पांडवों को निर्वासन कर दिया जाता है, लेकिन जब वे वापिस आते हैं तो उन्हें कौरवों का युद्ध में सामना करना पड़ता हैं। कृष्ण पांडवों के पक्ष में युद्ध में हिस्सा लेते हैं और अर्जुन के सारथी के रूप में कार्य करते हैं। मशहूर "भगवान का गीत" या भगवत-गीता वास्तव में महाभारत का ही एक भाग है। क्रुशेत्र के युद्धक्षेत्र पर अर्जुन जब अपने रिश्तेदारों को लड़ाई के मैदान में खड़ा देखते हैं तो उनका मन मोहित हो जाता है और वे बहुत उदास हो जाते हैं और लड़ने के लिए मना कर देते हैं। उस समय भगवान (श्री कृष्ण) ने स्वयं अर्जुन को जीवन के रहस्य को समझाया और उसे बुराई के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित किया। गावलगाना के पुत्र, संजय, धृतराष्ट्र के सलाहकार और उनके सारथी भी थे। संजय को वेद व्यास ने दिव्य दृष्टि दी थी और इस तरह वह जानता थे कि युद्ध में क्या चल रहा था भले ही वह हमेशा हस्तिनापुर में धृतराष्ट्र के साथ ही थे।

गीता एक आदर्श सामाजिक जीवन जीने का व्यावहारिक दर्शन है। इस दुनिया में कोई भी गीता की महिमा का सम्पूर्ण रूप से वर्णन नहीं कर सकता है। इस पुस्तक को पढ़ कर आप समझ पाएंगे कि परमेश्वर कभी भी हमसे दूर नहीं हैं। परमेश्वर सदा हमारी प्रतीक्षा में रहते हैं की हम कब जीवन की सच्चाई को समझेंगे। इस पुस्तक में उनकी शिक्षाओं का एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है, जिन्हे अठारह अध्यायों में बांटा गया है। भगवन श्री कृष्ण के शिक्षाओं और विचारों को बहुत सरल भाषा में समझाया गया है हालांकि उनका अर्थ बहुत ही गहरा और विचारशील है। ऐसा माना जाता है कि इन पाठों के निरंतर पढ़ने से और एक अच्छे भाव से इन पर अमल करने से भगवान कृष्ण के सन्देश को समझा जा सकता है।